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फाल्गुन विश्व का 43वां अंक प्रकाशित...

 साप्ताहिक फाल्गुन विश्व का 7 से 13 नवम्बर का अंक प्रकाशित...

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आवरण कथा 

न्याय के लिए आम स्त्री के संघर्ष की गाथा है है फिल्म 'जय भीम'



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पृष्ठ 2 एवं 14 पर भारत के अमृत महोत्सव उत्सव निमित्त विशेष सामग्री 


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पृष्ठ 3 पर पत्रिका से जुड़ी जानकारी एवं विषय-वस्तु 
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फिल्म 'जय भीम' पर संजीव चन्दन की टिप्पणी 

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कथाकार राजेन्द्र दानी पर मनोहर बिल्लोरे 
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हिन्दी के प्रख्यात कवि केशव तिवारी के जन्मदिन के निमित्त रविभूषण पाठक  ने अपने फेसबुक वॉल पर एक पोस्ट लिखी, उस पोस्ट को हमने साभार अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत किया है...


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पूरण हार्डी की कहानी 'बुड़ान'

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जबलपुर के पत्रिका संस्करण में सहायक समाचार संपादक श्याम बिहारी सिंह की रपट श्रृंखला इन दिनों खूब चर्चित हो रही हैं. उन्होंने समाज से गायब हो रहे किताबों के चलन पर एक रोचक रपट पिछले दिनों अपने अखबार में प्रकाशित की थी, जिसका शीर्षक था, 'अब सिराहने प्रेम कहानियों की किताबें रखकर कोई नहीं सोता...!', शीर्षक ने प्रभावित किया था, अस्तु, वह रपट हमने साभार फाल्गुन विश्व के पाठकों के लिए प्रकाशित की... पढ़ें...
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मराठी के जाने-माने लेखक मिलिंद बोकिल की किताब 'मेलघाट : शोध स्वराज्याचा' लोकार्पित 

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अंतिम पृष्ठ 

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साप्ताहिक फाल्गुन विश्व का प्रकाशन आरंभ...

पत्रिका फाल्गुन विश्व का पुनर्प्रकाशन शुरु हो गया है. पत्रिका अब साप्ताहिक स्वरुप में प्रकाशित हुआ करेगी. पत्रिका पढ़ने के इच्छुक नीचे दिए लिंक से डाउनलोड कर पीडीऍफ़ स्वरुप में पत्रिका पढ़ सकते हैं. https://drive.google.com/file/d/1TOJhqAN_g7V6cH74x9XpoKodG4PCHFNC/view?usp=sharing

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विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में फिजिकल डिस्टेंसिंग का उल्लेख और इसे ही इस्तेमाल करने की सिफारिश  नॉवेल कोरोना वायरस के नाम पर जबसे भारत सरकार की तरफ से आधिकारिक बयान आने लगे और मीडिया में COVID-19 नामक इस वायरस को कुख्यात करने का खेल शुरु हुआ, तबसे एक शब्द बारम्बार प्रयोग किया जा रहा है और वह शब्द है, 'सोशल डिस्टेंसिंग*.' इस शब्द को जब मैंने पहली बार सुना तबसे ही यह भीतर खटक रहा था, वजह सिर्फ इतनी ही नहीं कि भाषा और साहित्य का एक जिज्ञासु हूँ, बल्कि इसलिए भी कि इस शब्द में  विद्वेष और नफरत की ध्वनि थी / है. मैंने दुनिया भर की मीडिया को सुनना- समझना शुरु किया. चीन कि जहाँ नॉवेल कोरोना वायरस का प्रादुर्भाव हुआ और जहाँ से पूरी दुनिया में फैला, वहाँ के शासकों और वहाँ के बाजार ने 'सोशल डिस्टेंसिंग' शब्द का इस्तेमाल किया, इटली ने किया, ईरान ने किया, अमेरिका धड़ल्ले से कर रहा है. भारत सरकार के समस्त प्रतिनिधि, तमाम मीडिया घराने और उनके कर्मचारी, देश भर के अख़बार, आमजन और बुद्धिजीवी सभी 'सोशल डिस्टेंसिंग' शब्द का चबा-चबाकर खूब इस्तेमाल कर र