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Showing posts from December, 2020

24 को ग्राहक संरक्षण कानून के नए स्वरूप पर निशुल्क वेबिनार

23 दिसम्बर, 2020 फाल्गुन विश्व समाचार सेवा राष्ट्रीय ग्राहक दिवस के निमित्त 24 दिसम्बर को नए ग्राहक संरक्षण अधिनियम 2019 पर महाराष्ट्र सरकार की ओर से एक वेबिनार का आयोजन किया जा रहा है. यह जानकरी राज्य सूचना निदेशालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में देते हुए बताया गया है कि 24 दिसम्बर 2020 को सुबह 11 बजे से दोपहर 1 बजे तक यूट्यूब चैनल पर यह वेबिनार नागरिकों के लिए निशुल्क उपलब्ध रहेगा.  राज्य ग्राहक शिकायत निवारण आयोग ने अपील की है कि नीचे दिए गए लिंक के माध्यम से नागरिक अधिकाधिक संख्या में इस वेबिनार में शामिल हों और अपनी शंकाओं का समाधान प्राप्त करें. लिंक है -    https://www.youtube.com/ watch?v=ts5DOlwQv_M&feature= youtu.be

क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले जयंती महाराष्ट्र में अब से 'क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले नारी शिक्षा दिवस'

  23 दिसम्बर, 2020 फाल्गुन विश्व समाचार सेवा महाराष्ट्र में नारी शिक्षा के क्षेत्र में क्रांतिकारी पहल करने वाली क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले की जयंती ३ जनवरी अब से राज्य में सावित्रीबाई फुले नारी शिक्षा दिवस के रूप में मनाई जाएगी. नारी शिक्षा के लिए सावित्रीबाई फुले के कार्य एवं उनके योगदान को समाज के प्रत्येक तबके तक पहुँचाने के उद्देश्य एवं जरुरत के मद्देनजर आज महाराष्ट्र सरकार की ओर से यह निर्णय कैबिनेट बैठक में लिया गया. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में आयोजित यह बैठक मुंबई में सम्पन्न हुई. 3 जनवरी को अब से राज्य की शालाओं में क्रांतिज्योति सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित भाषण, निबंध, वक्तृत्व स्पर्धाओं के साथ परिसंवाद एवं एकांकी के मंचन भी किए जाने की जानकारी राज्य के सूचना निदेशालय की ओर से जारी विज्ञप्ति में दी गयी है.  

अपनी मर्जी से कहाँ अपने सफ़र पर हम हैं...

एकला चलो की हाक ही मेरे जीवन की सबसे गतिमान कड़ी है. जब भी साथ-संगत या सहयोग के लिए रुका, जैसे सबकुछ गतिहीन हो गया. मेरे साथ चलने की उर्मी औरों में बने भी तो कैसे? किसी भी तरह से मैं न उनकी अपेक्षाओं-आकांक्षाओं की पूर्तता का साधन बन सकता था, न ही मुझसे उन्हें किसी तरह की सुख-ख़ुशी की प्राप्ति हो सकती थी. तो होता बस इरादों और दिशाओं का टकराव... शुरू होता ऐसा द्वंद्व कि सहयोग या सहयोगी तलाशते-तलाशते मैं घूमकर उसी बिन्दु पर खुद को खड़ा पाता जहाँ अकेला खड़ा था. इस बार न सिर्फ दृष्टिकोण बदला है बल्कि दृष्टि भी बदल गयी है. अपनी तरफ अब जरा गौर से देखने लगा हूँ. खुद को चीन्हने-पहचानने लगा हूँ. अब बिलकुल भी भय नहीं लग रहा है. इस दुनिया में अकेले आए थे. जाना भी अकेले है तो फिर ये साथ-संगत, सहयोग-सहयोगी की क्या बला है भाई! इस बार तलाश नहीं है. हाँ आमंत्रण सभी के लिए है. आमंत्रण सभी को है. आप करीब आएं या दूर से देखें या फिर आँखें मूँद लीजिए..., सबकुछ का स्वागत है... ईश्वर ने चाहा तो बहुत ही शीघ्र हम प्रत्येक रविवार आपके साथ संवाद कर रहे होंगे... हाँ उसके पहले यह विशेषांक होगा ही होगा आप सबके हाथ... हा