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Showing posts from December, 2021

साप्ताहिक 'फाल्गुन विश्व' का 48वां अंक प्रकाशित...

 आमुख पर इस बार - अंक डाउनलोड करने के लिए  लिंक ख्याली-पुलाव / पुष्पेन्द्र फाल्गुन   रास्ते से गुजरते समय एक विज्ञापन फलक ने ध्यान खींचा. ध्यान से देखने पर मालूम हुआ कि यह किसी की बदमाशी है. कांग्रेस के बैनर पर भाजपा का बैनर चढ़ाया गया था, जिसे किसी ने अपनी बदमाशी से अदभुत रुप दे दिया है. इस नज़ारे ने कई ख्याल मुझ मूढ़-मगज के भीतर भर दिए, जैसे- - इस फलक पर पहले से कांग्रेस का बैनर लगा था, भाजपा ने बिना उसे हटाए अपना बैनर लगा दिया. दोनों बैनर अवैध रुप से लगाए गए हैं, जबकि विज्ञापन फलक जिस विज्ञापन एजेंसी का है, वह इन दोनों के बैनर उतारने की हिम्मत नहीं कर पाता. - लगा कि देश उस विज्ञापन एजेंसी के फलक की तरह है, जिस पर राजनीतिक पार्टियाँ अपना-अपना अवैध कब्ज़ा जमाए हुए हैं. - देश लोगों का है, लेकिन लोगों की मूल भावनाएं, राजनीतिक दलों की भावनाओं के पीछे कहीं दब-छिप सी गयी हैं. लोग यानी लोक यानी लोकतंत्र बस दूर से अपनी दबी भावनाओं के ऊपर चढ़ते इन राजनीतिक मुलम्मों का चश्मदीद मात्र है. - किसी ने बदमाशी से दो राजनीतिक पार्टियों के बैनर को इस अंदाज में फाड़ा कि एक भ्रम सा होता है द