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Showing posts from April, 2021

आइने में खुद : फाल्गुन विश्व का ग्यारहवां संस्करण प्रकाशित...

 इस बार का अंक केन्द्रित हैं 'आइने में खुद' पर  इस बार पढ़िए -  मिशन मन में - कवि होना , कविता होना पहली बात में - ‘ पत्रिका क्यों निकालते हो ?’ हिन्दुस्तान से एक खत / इंतजार हुसैन - पृष्ठ 4 से 7 पर फ़हीम अहमद की छह कविताएँ  - पृष्ठ 8 एवं 9 पर शाकिर उर्फ़ के जरिए मौजूं समाज की पड़ताल / रामनाथ शिवेन्द्र - पृष्ठ 10, 11 पर खेतीविहीन हो जाएगा अन्नदाता : वी . एम . सिंह / साक्षात्कार -   पृष्ठ 12 पर दो हजार साल पुराने गढ़ की उपेक्षा / निरंजन शर्मा - पृष्ठ 13 पर गुल सनोबर का पहला अंश - पृष्ठ 14 पर पराजय के निशान / बजरंग बिश्नोई की कविता - पृष्ठ 15 पर   अंक डाउनलोड करने के लिए  लिंक मिशन मन / समग्र चैतन्य  1. कवि होना हर होने को महसूस करना है हर एहसास को जीना है हर जीने को जीवंत करना है हर जीवन की आँखें होना है फिर उस होने को महसूस करना है फिर उस एहसास को जीना है फिर, फिर और फिर होते ही रहना है होते ही जाना है इस तरह होते-होते एक दिन चुक जाना है... कवि होना दरअसल कविता होना है...